- - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - पढ़ाई क्यों नहीं जारी रख पातीं देश की 60प्रतिशत लड़कियां, प्यार में पड़ने समेत यह है वजहें

प्रदेश और केंद्र सरकार भले बेटी बचाओ बेटी पढाओ योजना पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही हैं, लेकिन बनियादी सविधाएं और अभिभावकों की परेशानी व कई अन्य कारणों से 60 फीसद से अधिक लडकियां प्राइमरी शिक्षा से आगे की पढाई परी नहीं कर पातीं। इसका सबसे बड़ा कारण लडकियों की शादी, घरेल काम और शिक्षा की लागत बडे कारण हैं। चार राज्य हरियाणा, बिहार, गुजरात और आंध्र प्रदेश में 1604 परिवारों के साथ 3000 से अधिक साक्षात्कार के जरिये किए गए चाइल्ड राइट्स एंड (क्राइ) ने एक सर्वे में यह बात सामने आई है।सर्वे में उन कारकों का मूल्यांकन किया गया, जो लडकियों की स्कली शिक्षा जारी रहने में बाधक हैं। देश में प्राथमिक स्तर पर स्कल जाने वाली लडकियों की संख्या में सुधार हआ है, लेकिन माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्तर तक पहंचते-पहंचते लड़कियों की स्कूली शिक्षा बीच में छूटना आज भी बड़ी चुनौती है।अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर जारी सर्वे रिपोर्ट में सामने आया कि स्कूल जाने के लिए किसी अन्य व्यक्ति पर निर्भरता लड़कियों की स्कली शिक्षा जारी रहने में सबसे बड़ी बाधा (90 फीसद) है। लगातार अनुपस्थिति (29 फीसद) और स्कूल में महिला अध्यापक न होना (18 फीसद) भी कुछ अन्य कारण हैं, जिनके कारण लड़कियों को स्कूली शिक्षा बीच में छोड़नी पड़ती है। अनुपस्थिति का कारण मुख्य रूप से बार-बार बीमार पड़ना (52 फीसद) और घरेलू कामों में व्यस्तता (46 फीसद) चार राज्यों में लड़कियों की शिक्षा में बड़ी बाधा है ।गुजरात और आंध्र प्रदेश में लड़कियों ने बताया कि स्कूल से दूरी व स्कूल पहुंचने के लिए परिवहन में आने वाली लागत उनकी स्कली शिक्षा में बडी बाधा है। वहीं हरियाणा, आंध्र प्रदेश और गुजरात में माहवारी एक मुख्य कारण हैं। 87 फीसद स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय हैं, लेकिन इनमें पानी और हाथ धोने की सुविधा तक नहीं है ।सर्वे में सामने आया कि स्कूल जाने के लिए अपनी इच्छा (88 फीसद) और परिवार की ओर से प्रेरणा (87 फीसद) भी मुख्य कारण हैं, जो लड़कियों को स्कूल जाने के लिए प्रेरित करते हैं। परिवार (94 फीसद) और समुदाय (95 फीसद) लड़कियों को स्कूली शिक्षा जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।